सपना (कविता)
सपना
मैने एक सपना देखा,
उस सपने में समस्त विश्वजन को अपना देखा |
एक बाग में बड़े खुबसूरत फूल खिले थे ,
उसी फूल के सभी पंखुड़ी बने थे |
उनमें एकता की भावना प्रबल थी ,
यही उनके जीवन का संबल थी |
ईमानदारी उनके जीवन का आईना था ,
यही सबसे बड़ा उनके जीवन का माइना था |
मुझपे उनका आर्शीवाद था ,
मेरे लिए यह एक मंदिर का प्रसाद था |
तत्क्षण मेरी नींद गई खुल,
सपने में मैने देखा चारो तरफ उड़ रही थी कलियुग की धूल,
मैं इस सपने को नही चाहती थी जाना भूल |
Seema Priyadarshini sahay
28-Sep-2021 11:15 AM
बहुत ही खूबसूरत पंक्तियाँ
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मनोज कुमार "MJ"
28-Sep-2021 09:14 AM
Behad Shandar ❤️
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Miss Lipsa
27-Sep-2021 06:00 PM
Nice
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